दिल्ली की बावलियाँ
Step-wells of Delhi (History of Delhi) अब तो कुएं भी बमुश्किल मिलते हैं, पहले के समय में बावलियां होती थीं। ये गहरे कुएं होते थे जिनमें पानी तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनाई जाती थीं। अब ये इस्तेमाल में नहीं आते और जो बचे भी हैं वे अब ऐतिहासिक हो चुकी हैं व उनकी देख-रेख की कमान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के हाथ में है। आज दिल्ली की देहरी में बात उन बावलियों की जिन्होंने दिल्ली के इतिहास व यहां की बेजोड़ कारीगरी को अपने अंदर बसाया हुआ है। किसी समय में राजधानी में करीब सौ बावलियां होती थीं लेकिन आज के दौर में केवल दो दर्जन बावलियां ही शेष हैं। दिल्ली की सबसे पुरानी बावली, गंधक-बावली भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की पुस्तक “दिल्ली और उसका अंचल” के अनुसार, महरौली में और उसके आसपास अनगढ़े पत्थरों से अनेक सीढ़ीयुक्त बावलियां बनवाई गईं, जिनमें दूसरों की तुलना में दो अधिक प्रसिद्व हैं। तथा-कथित गंधक की बावली, जिसके पानी में गंधक की गंध है, अधम खां के मकबरे से लगभग 100 मीटर दक्षिण में स्थित हैं। गंधक की बावली पानी प्रचुर मात्रा में सल्फर पाए जाने के कारण गंधक की बावली कहलाती है। यह विश्वास किय