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Showing posts from January, 2018

दिल्ली में खिलजी की कब्र

Khilji's Grave in Delhi (History of Delhi) विवादों के बीच फिल्म पद्मावत का प्रदर्शन जारी है और वह सफलता के झंडे गाड़ रही है। इसी बीच फिल्म के खलनायक अलाउद्दीन खिलजी की ओर भी ध्यान जाना लाजिमी है। उसकी सल्तनत और शासन की तो जानकारी इतिहास में कहीं न कहीं मिल जाती है, लेकिन मौत और उसके बाद के नामोनिशान को लेकर ठीक-ठीक तथ्य नहीं मिल पाते हैं। इन सबके बीच दावा किया जाता है कि कुतुबमीनार परिसर में एक चबूतरे के नीचे खिलजी वंश के इस आक्रांता की कब्र है, जहां से पर्यटक यूं ही गुजर जाते हैं। हालांकि इतिहासकारों के बीच इसे लेकर मतभेद है। तब भी अलाई दरवाजा और एक खंडित मदरसे के कारण यह स्थान अलाउद्दीन खिलजी की कब्रगाह के तौर पर सबसे सशक्त दावा रखता है। हर रोज 10 से 12 हजार देश-विदेश के पर्यटक गगनचुंबी कुतुबमीनार को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। शनिवार और रविवार को पर्यटकों का यह आंकड़ा 15 हजार तक पहुंच जाता है। कुतुबमीनार को देखने के साथ ही पर्यटक यहा लगे लौह स्तंभ को भी बड़े गौर से देखते हैं। कुतुबमीनार से सटे परिसर में अलाउद्दीन खिलजी के मकबरे के साथ ही मदरसा है। मीनार से करीब 10

दिल्ली की बावलियाँ

Step-wells of Delhi (History of Delhi) अब तो कुएं भी बमुश्किल मिलते हैं, पहले के समय में बावलियां होती थीं। ये गहरे कुएं होते थे जिनमें पानी तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनाई जाती थीं। अब ये इस्तेमाल में नहीं आते और जो बचे भी हैं वे अब ऐतिहासिक हो चुकी हैं व उनकी देख-रेख की कमान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के हाथ में है। आज दिल्ली की देहरी में बात उन बावलियों की जिन्होंने दिल्ली के इतिहास व यहां की बेजोड़ कारीगरी को अपने अंदर बसाया हुआ है। किसी समय में राजधानी में करीब सौ बावलियां होती थीं लेकिन आज के दौर में केवल दो दर्जन बावलियां ही शेष हैं। दिल्ली की सबसे पुरानी बावली, गंधक-बावली भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की पुस्तक “दिल्ली और उसका अंचल” के अनुसार, महरौली में और उसके आसपास अनगढ़े पत्थरों से अनेक सीढ़ीयुक्त बावलियां बनवाई गईं, जिनमें दूसरों की तुलना में दो अधिक प्रसिद्व हैं। तथा-कथित गंधक की बावली, जिसके पानी में गंधक की गंध है, अधम खां के मकबरे से लगभग 100 मीटर दक्षिण में स्थित हैं। गंधक की बावली पानी प्रचुर मात्रा में सल्फर पाए जाने के कारण गंधक की बावली कहलाती है। यह विश्वास किय

बेर सराय: आईएएस की नर्सरी

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Ber Sarai: Nursery of IAS Officers (History of Delhi) (C) सुशील कुमार / दैनिक जागरण 

२६ जनवरी का इतिहास

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सिन्धिया राजघराने का दिल्ली से नाता

हाल में ही दिल्ली के सिरी फोर्ट सभागार में ग्वालियर घराने की महारानी राजमाता विजयराजे सिन्धिया की आत्मकथा ‘राजपथ से लोकपथ पर’, आधारित फिल्म ‘एक थी रानी ऐसी भी’ की स्क्रीनिंग का कार्यक्रम हुआ था। इस फिल्म में मुख्य भूमिकाएं प्रसिद्ध अभिनेत्री हेमा मालिनी और अभिनेता विनोद खन्ना ने निभाई है जबकि निर्देशक गुलबहार सिंह है। इस फिल्म का निर्देशन राजमाता विजायराजे सिंधिया स्मृति न्यास ने किया है। इस फिल्म की शूटिंग जयपुर, दिल्ली, सवाई माधोपुर, हैदराबाद और मुंबई में हुई है। इस फिल्म के निर्माण में विषय की व्यापकता को देखते हुए, उसे पूरी प्रमाणिकता से तैयार करने के लिए गहरे शोध के कारण करीब सात साल का समय लगा। इस अवसर पर वर्तमान में गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा की लिखी और प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक ‘राजपथ से लोकपथ पर’ के हिंदी और अंग्रेजी संस्करणों का भी विमोचन हुआ। इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले दर्शक, अधिकतर दिल्लीवासियों की तरह इस बात से अनजान होंगे कि वर्ष 1803 में पहली बार ब्रितानी फौजों ने सिंधिया के सेना को हराकर ही दिल्ली में प्रवेश किया। उससे पहले यानि तब दि

दिल्ली में तैमूर लंग

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लाहौर और ढाका का दिल्ली कनेक्शन

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राजा सूरजमल का कटवारिया सराय

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हिन्दू हितकारी, महाराजा सूरजमल

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हुमायूँ रोड का इजराइल कनेक्शन

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दिल्ली और शाकाहार

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दिल्ली में रेलवे

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Railway in Delhi (History of Delhi) (C) नलिन चौहान / दैनिक जागरण

लाडो सराय का इतिहास

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आई आई टी दिल्ली का निर्माण

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दिल्ली में ईसाइयत अंग्रेजों के साथ आई

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बलराम से हरदुआगंज

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दिल्ली में मराठा पेशवा रोड

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हौजरानी - अफगानी पठानों का गांव

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